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वो बाबा साहब का सैनिक है।

 वो बाबा साहब का सैनिक है... मिशन पर हुँकार लगाये चलता है, अपने काँधों पर बहुजन मिशन का भार उठाये चलता है,   गश्त लगाते कांसीराम की जयकार लगाये चलता है, अंतर मन में ज्वलत ज्वाला से विरोधियों को ललकार लगाये चलता है  वो मिशन की मस्ती में मस्त एक अनोखा मन मौजी है वो बाबा साहब का सैनिक है।         विजय कुमार बौद्ध 

करवा तुम्हारा कविता

क़दम क़दम पर साथ हो तुम मैं तुमको नमन करता हूँ। जब तक साँस रहे तन में करवा तुम्हारा आगे बढ़ाता हूँ आस्था संविधान से, वास्ता संविधान से इस जीवन को महकाने का हर एक रास्ता भी तुम्हीं से बाबा साहब इस जीवन जीने लायक बनाने का।  कल तुम थे तो आज हम है , विजय कुमार बौद्ध